हरेली तिहार बस्तर में क्यों खास है जानिए कैसे?- Hareli Tihar bastar Chhattisgarh

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बस्तर Bastar में हरेली तिहार Hareli Tihar  किसानों का सबसे बडा महत्वपूर्ण त्योहार है। हरेली शब्द हिंदी शब्द ‘हरियाली’ से उत्पन्न हुआ है हरेली Hareli जिसे हरियाली के नाम से भी जाना जाता है इसे छत्तीसगढ़ में प्रथम त्योहार के रुप में माना जाता है।

सावन की अमावस को मनाया जाने वाला पर्व हरेली खेतिहर बस्तर में बडे ही धुम-धाम से मनाया जाता  है। यह छत्तीसगढ़ के बस्तर का मुख्य रूप से महत्वपूर्ण त्यौहार है यह त्यौहार सावन श्रावणी अमावस्या महीने के अमावस्या के दिन मनाया जाता है।

हरेली तिहार Hareli Tihar जो जुलाई और अगस्त के बीच वर्षा ऋतु में होता है। सावन के महीने में हरियाली की चादर ओढ़े धरती का श्रृंगार देखते ही बनाता है।  यह त्यौहार श्रावण के महीने के प्रारंभ को दर्शाता है जो कि हिंदुओं का पवित्र महीना है। करीब डेढ़ माह तक जीतोड़ मेहनत करते किसान लगभग बुआई और रोपाई का कार्य समाप्त होने के बाद अच्छी फसल की कामना लिये सावन के दूसरे पक्ष में हरेली का त्योहार मनाते हैं जो किसानो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस दिन किसान खेती में उपयोग होने वाले सभी औजारों की पूजा करते हैं। गाय बैलों की भी पूजा की जाती है। और गेंड़ी सहित कई तरह के पारंपरिक खेल भी हरेली तिहार Hareli Tihar के आकर्षण होते हैं।  सुबह से ही किसान अपने जीवन सहचर पशुधन और किसान की गति के प्रतीक कृषियंत्र नांगर हल, जुड़ा, चतवार, हंसिया, टंगिया, बसूला, बिंधना, रापा, कुदारी, आरी, भँवारी के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हैं। और किसानिन घर में पूरे मन से गेंहू आटे में गुड़ मिलाकर चिला रोटी बडा बनाती है। चिला रोटी बडा कृषियंत्रों को समर्पित किया जाता है।

इस दिन कुलदेवता की भी पूजा करने की परंपरा है। हरेली तिहार Hareli Tihar के दिन ज्यादातर लोग अपने कुल देवी देवता और ग्राम के देवी देवता की पूजा करते हैं। साथ ही पशुओं के गौशाला को भी साफ और स्वच्छ कर उसमें नई मिट्टी या मूरूम डालकर सुव्यवस्थित करते हैं। कृषि पर आधारित इस त्यौहार को हरेली तिहार के माध्यम से छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से भी राज्य में मनाने का निर्णय लिया गया है।

बस्तर क्षेत्र में आज भी ग्रामीणजनों के द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ हरेली का पर्व मनाया जाता है खेतों से संबंधित उपकरण और गायों की इस शुभ दिन पर किसान पूजा करते हैं ताकि पूरे वर्ष अच्छी फसल सुनिश्चित हो सके। हरेली पर्व के माध्यम से बस्तर के किसान भगवान से अच्छी फसल की भी कामना करते है।

घरों के प्रवेश द्वार नीम के पेड़ की शाखाओं से सजाए जाते हैं। किसान लोक पर्व हरेली पर आज खेती किसानी में काम आने वाले उपकरण और बैलों की पूजा करेंगे। इस दौरान सभी घरों में अच्छे-अच्छे पकवान भी बनाए जाते है।

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इस त्योहार किसानो के  बच्चों द्वारा गेड़ी नामक एक खेल खेला जाता है इस खेल में बच्चे बड़े बांस की छड़ियों में चढ़ कर खेतों के आसपास घूमते है। बच्चों को ‘गैदी’ खेल और दौड़ में भाग भी लेते हैं जो कई जगहों पर होता है। एक तरह से कहा जाए तो हरेली बस्तर में त्योहारों के शंखनाद का दिन होता है।

जिसके बाद एक के बाद एक कई त्योहार आते हैं। उम्मीद करता हूँ जानकारी आप को पसंद आई है। हो सके तो दोस्तो के साथ शेयर भी जरूर करे। ऐसी ही जानकारी daily पाने  के लिए Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी |

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3 thoughts on “हरेली तिहार बस्तर में क्यों खास है जानिए कैसे?- Hareli Tihar bastar Chhattisgarh”

  1. बहूँत बहूँत बधाइयां सुंदर जानकारी को कृपया और विस्तार से बताने की कृपा करें उनसे जुडी़ हुई कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को भी शामिल करें धन्यवाद..

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