चांटी भाजी Chatti bhaji बस्तर की महत्वपूर्ण भाजियों में से एक है जो बरसात के पानी से नमी पाकर कई हरी भरी वनस्पतियों के साथ ये घास भी खेतों में फैली हुई लहलहा रही होती है चाटी (चींटी) के समान छोटी-छोटी और पंक्तिबद्ध पत्तों में होता है जिसे छत्तीसगढ़ में चाँटी और बस्तर में चांटी भाजी Chatti bhaji कहा जाता है।
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इस भाजी की कोई खेती नहीं होती बल्कि धान कटाई के बाद थोड़ी सी नमी मिलते ही खेतों में यह अपने आप उग आती है ये भाजी हर साल खेतों में पहली बारिश के साथ ही अपने आप प्रकट हो जाती है यह चांटी भाजी घास प्रजाति का होता है जोयह पौधा बिल्कुल दूब की तरह दिखता है इसके तने गठान युक्त होते हैं जो मुख्य जड़ से चारों ओर 10 से 15 से.मी. तक लंबाई में जमीन पर फैले हुए होते है।
चांटी भाजी के तनों के गांठ से दोनों ओर छोटी छोटी पत्तियाँ समानान्तर क्रम में लगी हुई होती हैं इसकी पत्तियाँ चींटी की तरह छोटी छोटी पंक्तिबद्ध व पूरी तरह जमीन से जुड़ी हुई होती हैं इसीलिए इसे चांटी भाजी कहा जाता है। यह अधिकतर बस्तर के गॉव की माताएँ-बहनें खेतें से घूम-घूम कर इसके पत्तों को डंठल सहित तोड़कर जमा करती हैं और घर में मूँग उड़द,मसूर या कुलथी दाल के साथ इससे पकाती हैं अधिकतर बस्तर के आस-पास के गाँवों के हाट-बाजारों में भी ये भाजी बहुत बिकती है आप भी कभी दाल के साथ जरूर आनंद लीजिए चांटी भाजी के लज़ीज स्वाद का उम्मीद करता हूँ जानकारी आप को पसंद आई है। हो सके तो दोस्तो के साथ शेयर भी जरूर करे। ऐसी ही जानकारी daily पाने के लिए Facebook Page को like करे इससे आप को हर ताजा अपडेट की जानकारी आप तक पहुँच जायेगी।
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